लड़की कौन है ये और लड़का इतना क्यों जरूरी है.सवाल तो मन में होता ही है, बचपन से लेकर बड़े होने तक हर चीज लड़के को पहले दी जाती है. उसके खिलौने, उसकी साइकिल, उसकी पढ़ाई सब मानो उसका ही है बस तो फिर हमे गलतफहमी होना लाज़मी है कि काश में भी लड़का होती तो शायद सभी मुझे इतना ही प्यार करते.
हां बहुत बुरा लगता है जब लड़की की पढ़ाई बंद करवा कर लड़के को कॉन्वेंट स्कूल में भेजा जाता है तो फिर आता है काश मैं लड़का होती. पर कभी समझ नहीं आता जैसे उसमें उन्के जीन्स हैं मुझमें भी,वो उनकी औलाद है मैं भी हूं फिर ये भेदभाव क्यों.इस कशमकश में की यार भगवान मुझे लड़की क्यों बनाया जिंदगी का एक चौथाई हिस्सा निकल जाता है.
असली इम्तिहान अब शुरू होता है जब जिंदगी समझ आने लगती है जब ये पता लगता है कि शुक्र है कि मैं लड़की हूं, लड़का नहीं जब हम भगवान को दिल से शुक्रिया करते हैं कि हर जन्म में मोहे बिटिया ही कीजो...हैरानी हो रही होगी कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूं...
आपके सवाल का जवाब
आपके भाई के पैदा होने पर सभी लोग बहुत खुश होते हैं. उसे सभी महंगे खिलौने दिलवाये जाते हैं, कॉन्वेंट की पढ़ाई से लेकर टॉप क्लास तक डॉनेशन दिया जाता है पर क्यों...अभी नहीं समझ आया तो गौर से सोचिए आपकी शादी के लिए मां-बाप लड़का ढूंढ रहे हैं.उन्कों एक लड़का पसंद आया बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, उसके बाद पता किया जाता है कि उसकी कीमत क्या है मतलब आपके पापा जिन्होने हो सकता है आज तक आपकी बहुत सी मांगे पूरी नहीं की होंगी आपके लिए जीवनसाथी के रूप में लड़का खरीदते हैं क्योंकि अगर उन्होनें अपने बेटे को बेचने के लिए तैयार ना किया होता तो आज उन्कों किसी और का बेटा खरीदना नहीं पड़ता...तो मुबारक हो आप लड़की हैं आपकी कीमत रुपयों में तय नहीं की जाएगी होप कि आपकों गर्व होगा कि आप लड़की हैं.
मैं खुशकिस्मत हूं क्योकिं मैं लड़की हूं और ना ही मेरे माँ-पापा ने मेरे भाई की कीमत लगाने के लिये पढ़ाया और ना ही कभी ऐसा हुआ की मेरी डिमानड्स ना पूरी हुई हों...मेरे लिये जीवनसाथी खरीदने से ज्यादा उनकों मुझे पढ़ाना जरूरी लगा....शुक्रिया पापा धर्मपाल मोठसरा; माँ मूर्ति मोठसरा
- शीनू मोठसरा
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