17 October 2017

ताजमहल पर कर्कश संगीत।


ताजमहल पर कर्कश संगीत।   

"कैसा इतिहास, कहाँ का इतिहास, कौन-सा इतिहास, हम इतिहास बदल देंगें". ये वाक्य कहने वाला इतिहास का कैसा छात्र रहा होगा, आप इस ब्यान से अंदाजा लगा सकते हैं. 











यह ब्यान उतर प्रदेश में मेरठ की सरधना सीट से विधायक संगीत सोम ने दिया है संगीत सोम हमेशा से अपने उट-पटागं ब्यानों के लिए जाने जाते रहे हैं. कभी अपने चुनाव प्रचार में दंगों के समय के भाषण चला कर तो कभी सरेआम आम सभाओं में भड़काऊ भाषण देकर नफ़रत के बीज बोते रहे हैं. इसे हमारे लोकतंत्र का दुर्भाग्य ही समझ लीजिए देश के कुछ नेता अपने ओछे कामों से ही राजनीति में बने रहते हैं. इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी, "ताजमहल पर गर्व करने जैसी कोई बात नहीं है", कह कर उनका और उनकी सरकार का ताजमहल के प्रति विद्वेश दिखा चुके हैं.    

चलों इसी बहाने ही सही इन लोगों ने यह तो स्वीकार किया की ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था. वरना इससे पहले ये लोग ताजमहल के इस अस्तित्व को ही नकार रहे थे जिसके चलते सुब्रमण्यन स्वामी ने तो ताजमहल को लेकर केस भी फाइल किया हुआ है. देश की एक विचारधारा के धडे़ द्वारा ताजमहल को शिवालय़ बताया जाता रहा है तो वहीं सरकार के पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने अपने ब्यान में कहाँ कि यह सब निराधार बातें हैं, ताजमहल, ताजमहल ही है.   

कभी मुग़ल काल में अकबराबाद के नाम से जाना जाने वाला आगरा शहर अकबर, जहांगीर और शाहजाहं के काल में राजधानी भी रहा है. इस शहर को चार चांद लगाने का काम शाहजहां ने ताजमहल बनवा कर किया था. आगरा की पहचान ताजमहल से ही रही है. 'ताज आगरा की आबों हवा में है, ताज से आगरा की हवा में ताजगी है. ताज से आगरा की फिज्जा में मोहब्बत है, ताजमहल आगरा के सिर का ताज है. ताजमहल आगरा ही नहीं भारत को भी विश्वपटल पर पहचान दिलाने वाली ऐतिहासिक इमारत है'. ताज के ये कसीदे मेरे एक मित्र ने पढ़े हैं जो आगरा के ही रहने वाला है. 

ताजमहल जिसको खड़े हुए आज लगभग 350 साल से ज्यादा हो चुके हैं उम्र के लिहाज से बुजुर्ग होते हुए भी यह जवानों से ज्यादा कमाई कर रहा है. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में ताजमहल की कमाई लगभग 75 करोड़ रही है जो अपने आप में भारत के पर्यटन स्थलों में सबसे ज्यादा है.  

शाहजहां बहुत बड़े वास्तुकला प्रेमी थे उनके काल में ही सबसे ज्यादा भव्य ईमारतों का निर्माण हुआ था. आगरा के ताजमहल के अलावा आगरा का लाल किला (जहां पर शाहजहां को उन्कें बेटे औरंगजेब ने बंदी बना कर रखा था), व दिल्ली का लाल किला जिसकी प्राचीर से आजादी के बाद से सभी प्रधानमंत्री तिरंगा लहराते आए हैं, ये सब ऐतिहासिक ईमारतों का निर्माण करवाने वाले शाहजाहं ही थे. वहीं दिल्ली के लाल किले में स्थित दिवाने-ए-खास के बारे में तो मशहूर कवि अमिर खुसरों ने यहां तक लिखा है कि "धरती पर अगर कही स्वर्ग है तो यही है, यही है, यही है".  

ताजमहल से जुड़े इतिहास के इस पहलू से भी मुंह नही मोड़ा जा सकता कि ताजमहल को बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए गए थे जो उस समय का एक बहुत बड़ा अमानवीय कृत्य रहा होगा जिसमें लगभग बीस हजार मजदूरों को अपंग कर दिया गया था. शाहजांह को डर था कहीं कोई दूसरा ताजमहल ना बनवा दे परंतु यह उनकीं सबसे बड़ी गलती रही क्योंकि उस समय कोई आर्थिक रुप से इतना मजबूत नहीं था की ताजमहल बनवा सकता. 

लेकिन हमे नहीं भूलना चाहिए कि वो दौर राजशाही का दौर था जिसमे राजा को जो ठीक लगे वही होता था वो एक तरह से तानाशाही का काल था. कुछ लोग आज उन मजदूरों पर हुए अन्याय को लेकर ताजमहल की रंगत को कम करने का प्रयास कर रहे हैं, हां उन सबके साथ अन्याय हुआ इस बात में कोई दोराय नहीं हो सकती, परंतु आज जो लोकशाही के दौर में हो रहा है, आज देश में लोगों को गाय के नाम पर, जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, स्वतंत्र लेखन के नाम पर मारा जा रहा है, उसका क्या? ऐसे में संगीत सोम का कर्कश संगीत इन लोगों के न्याय के लिए भी आलाप करेगा क्या? शायद कभी नहीं. 

राजनीति में इस तरह की मानसिकता रखने वाले नेताओं का स्कोप बढ़ता जा रहा है जो अपनी ब्यानबाजी से समाज को बांटने, नफरत फैलाने का काम करते है सभी पार्टियों में इस तरह के नेता आपको देखने को मिल जाएंगे परंतु भाजपा इस मामले में ज्यादा आगे निकल चुकी है।

4 comments:

  1. Bahut hi badhiya Gaurav. Khastaur par 20,000 logo ke apang hobe wala bindu.

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  2. बहुत बढ़िया दोस्त!

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