18 January 2017

राजनीतिक पार्टियो में पारदर्शीता का अवसर !


देश के प्रधानमंत्री ने राजनीतिक पार्टियों को चंदे के रूप में मिलने वाले काले धन को और पार्टियों से जुड़े भ्रष्टाचार को खत्म करने की अपील कर राजनीतिक पार्टियो से ईमानदारी की बात कही है।

राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे को लेकर चुनान आयोग भी लम्बे असरे से अपनी चिंता जताता रहा हैं क्योकि किसी भी पार्टी को चंदे के रूप में 20 हजार से ज्यादा की राशि ही चैक या कैशलेस के रूप में स्विकार्य है, 20 हजार से कम की राशि को चैक से देने की कोई अनिवार्यता नहीं है इस रास्ते के जरिए ये तमाम पीर्टिया चंदे में आए पैसे को 20 हजार से कम दिखाती थी लेकिन अब 20 हजार की जगह 2 हजार से ज्यादा की राशि को चैक के जरिए दिए जाने की बात कही जा रही हैं। लेकिन यह नया तरीका भी  काले धन को चंदे के रूप में स्विकार कर पार्टियों के लिए एक रास्ता छोड़ रहा है भले ही कम राशि के रूप में हो।


एक ओर जब देश की अर्थव्यवस्था को केश लैस करनें की बात की जा रही है हालांकि देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुचनें में इसे कई दशक लग सकते हैं। तो क्यों न राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले एक ₹ के चंदे की राशि को भी कैश लैस भूगतान के जरिए लिया जाए ?

सबसे पहले भाजपा को इसकी शुरुआत करनी चाहिए क्योंकि भाजपा शासित मोदी की केंद्र सरकार ने ही देश को कैश लैस और वितीय रूप से डिजिटल करने का बीड़ा उठाया है। अगर मोदी साहब ऐसा करने का साहस करते है तो जाहिर है दूसरी पार्टियों पर भी जनता का दबाव होगा, कि वो भी चंदे में मिलने वाली राशि को  कैश में ना लेकर चैक, ऑनलाइन बैंकिग या मोबाईल वॅालेट के जरिए ही स्वीकार करें।

वही दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में लाने की बात लगातार चलती आ रही है। सूचना आयोग नें 2013 में सभी राजनीतिक पार्टियों को RTI के दायरे में लाने का फैसला किया था। लेकिन किसी भी पार्टी ने इसे लागू नहीं किया। अब यह मामला देश के सर्वोच्च न्याया़लय के अधीन चल रहा है। वहीं मोदी अगर पारदर्शिता की बात करते है तो सर्वोच्च न्याया़लय के फैसले से पहले ही उनको अपनी पार्टी को RTI के दायरे मे लाना चाहिए

लेकिन कहीं मोदी पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए तो ़इस तरह की ब्यानबाजी नहीं कर रहे हों जिससे वो अपनी पार्टी को साफ-सुथरी होने का प्रमाण-पत्र अपनी रैलियों के दौरान अपने लच्छेदार भाषणों में देते नजर आए।
उनकें के लिए बेहतर होगा की वो अपनी पार्टी को मिलने वाले चंदे को कैशलेस करे और अपनी पार्टी को RTI कानून के दायरे में लेकर आए तब जनता में संदेश जाएगा की प्रधानमंती असल में राजनीतिक पार्टियों में पारदर्शिता  और ईमानदारी चाहते हैं। अगर वो ऐसा करते हैं तो इन पांच राज्यो में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को परोक्ष रूप से फायदा हो सकता है और साथ ही कम-से-कम इस मामलेृ में तो उनकी  कथनी और करनी में अंतर खत्म हो ही जाएगा
- गौरव कुमार


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