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09 May 2021
शाह ने राममाधव को लगाया ठिकाने।
बीजेपी के नेताओं के लिये बीजेपी में शामिल होने के बजाये RSS के रास्ते बीजेपी में जाना फायदे का सौदा रहा है। अब तक जितने भी नेता, RSS से बीजेपी में आए हैं सभी ने पार्टी में ठीक-ठाक पद-प्रतिष्ठा पाई है।
इस बीच दो ही नेता ऐसे दिखाई देते हैं जिनकी संघ से बीजेपी में आने के बाद भी दाल नहीं गल पाई, पहले थे संजय जोशी जिसको गुजरात में ही मोदी-शाह की जोड़ी ने ठिकाने लगाया, संजय जोशी अब न तो RSS के रहे न ही बीजेपी के।
दूसरा नाम है राममाधव। राममाधव के पिता भी संघ के स्वयंसेवक रहे हैं पिता के चलते माधव बचपन से ही संघ से जुड़े हुए हैं। राम माधव को पूर्व सर कार्यवाह सुरेश जोशी (भैया जी जोशी) का करीबी माना जाता हैं। सुरेश जोशी की सिफारिश पर ही 2014 में सरकार बनने के तीन महीने के अन्दर ही राममाधव को बीजेपी में शामिल किया गया।
शुरुआत से ही सर कार्यवाह सुरेश जोशी और मोदी के बीच समीकरण ठीक नहीं रहे हैं जिसके चलते सुरेश जोशी ने राम माधव को पार्टी अन्दरखाने मोदी-शाह की जोड़ी पर नजर बनाये रखने के लिए पार्टी महासचिव बनाकर भेजा। अब राममाधव पर कोई भी निर्णय लेने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पास था। अमित शाह ने राममाधव को न तो राज्यसभा भेजा और न ही 2019 का लोकसभा चुनाव लड़वाया। कैबिनेट में जगह देना तो दूर माधव को दिल्ली से दूर रखा गया।
राम माधव को जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर की जिम्मेदारी दी गई जिसे माधव ने बखूबी निभाया भी। जम्मू कश्मीर में बीजेपी की पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनवाने में राममाधव की मुख्य भूमिका रही थी। इसके बाद शाह ने राममाधव को जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर की जिम्मेदारियों से भी मुक्त कर दिया।
मोदी के पहले कार्यकाल की शुरुआत से ही राममाधव मोदी के विदेशी दौरों के प्रबन्धक के तौर पर दिखाई दिए, न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर में हुए कार्यक्रम से लेकर अन्य विदेशी दौरों पर भी साथ दिखाई दिये। अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ के चलते माधव की अन्तरराष्ट्रीय मीडिया पर भी ठीकठाक पकड़ है। लेकिन माधव के बढ़ते कदम से शाह को परेशानी थी इसके बाद से माधव को विदेशी कार्यक्रमों से भी दूर रखा गया।
पार्टी महासचिव के पद पर रहते हुए 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राममाधव ने पार्टी के खिलाफ एक बयान दिया। राममाधव ने अपने बयान में कहा था कि 'बीजेपी बहुमत के आँकड़े से दूर रह सकती है।' अपने इस बयान को लेकर माधव पार्टी के शीर्ष नेताओं की आंखों में चढ़ गए। माधव के बयान का जवाब देते हुए नीतिन गडकरी ने नाराजगी जाहिर की थी।
इसके बाद 2020 में जेपी नड्डा के पार्टी अध्यक्ष बनने के कुछ महीने बाद राममाधव को बीजेपी महासचिव पद से भी हटा दिया गया। हाल ही में बेंगलूरु में हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में दत्तात्रेय होसबोले को नया सर कार्यवाह बनाया गया है।
संघ में सरसंघचालक के बाद यह नम्बर 2 की कुर्सी है। होसबोले मोदी के करीबी माने जाते हैं ऐसे में भागवत, होसबोले और मोदी तीनों एकमत के हैं। राम माधव के करीबी भैया जी जोशी के सर कार्यवाह पद से हटते ही और मोदी के करीबी होसबोले के नये सर कार्यवाह बनते ही राममाधव को बीजेपी से संघ में वापस बुला लिया गया है। इस गठजोड़ के बीच बीजेपी के अन्दर राममाधव के पैर जमना मुश्किल हो चुका था। इस तरह राममाधव को फिर से संघ में भेजकर मोदी-शाह की जोड़ी ने माधव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के सारे रास्ते बंद कर दिये।